
‘घूमने’ नहीं, ‘घुमाने’ के लिए विदेश जाते थे मोदी
विश्लेषण : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद (29 जून, 2020)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रिकॉर्ड (कीर्तिमान) एक-दूसरे का पर्याय रहे हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में सबसे लम्बे समय तक शासन बनाने के रिकॉर्ड से लेकर प्रधानमंत्री के रूप में पिछले 6 वर्षों में कई क्षेत्रों में रिकॉर्ड तक की गणना की जाए, तो गिनते-गिनते उंगलियाँ थक जाएँगी, परंतु रिकॉर्ड समाप्त नहीं होंगे।
भारत सहित पूरा राष्ट्र इस समय कोरोना वायरस (CORONA VIRUS) से फैली वैश्विक महामारी कोविड 19 (COVID 19) से जूझ रहा है। भारत में कोविड 19 का पहला मामला केरल में 30 जनवरी, 2020 को दर्ज़ हुआ और मार्च तक इस महामारी ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी पूरी सरकार सक्रिय हो गई, तो राज्यों ने भी आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए।
यद्यपि देश को कोविड 19 की भयावहता का पहली बार अहसास तब हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 मार्च, 2019 को राष्ट्र के नाम संबोधन में 22 मार्च, 2019 रविवार को ‘जनता कर्फ्यू’ का आह्वान किया। फिर तो 25 मार्च से लॉकडाउन (LOCKDOWN) से लेकर 1 जून से अनलॉक-1 तक कोविड 19 पूरे भारत की रग-रग में समा गया। पूरा देश कोरोना संकट से ग्रस्त हो गया और इसी बीच भारत-चीन विवाद ने भी सिर उठाया।
2020 में भारत का कई मोर्चों पर युद्ध

इस पूरी पृष्ठभूमि को प्रस्तुत करने एकमात्र कारण यह है कि भारत पिछले वर्ष 2020 के प्रारंभिक छह महीनों से एक साथ कई मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा है। पहले कोरोना, फिर उसके जनक चीन की चुनौती। शुरुआती तीन महीने जहाँ कोरोना विरोधी युद्ध में भारत वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा, तो पिछले तीन महीनों से चीन के साथ सीमा विवाद जवानों की शहादत तक पहुँच गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी घरेलू राष्ट्रीय व राजनीतिक चुनौतियों से घिर गए, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन ने भारत की संप्रभुता को ललकारा। इन सबके बीच समग्र देश ने देखा कि कोरोना और चीन के साथ संकट की इस घड़ी में न केवल चीन का सबसे बड़ा दुश्मन अमेरिका, बल्कि सबसे दोस्त रूस भी भारत के साथ खड़ा है, तो कुछ गिने-चुने छुटभैया देशों को छोड़ कर पूरा विश्व संकट की घड़ी में भारत के पक्ष में है।
क्यों ? क्यों पूरा विश्व भारत का साथ देने को तैयार है ? इस प्रश्न का उत्तर है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से पिछले 6 वर्षों के कार्यकाल में हर 25वें दिन बोया गया ‘संबंधों का बीज’। मोदी ने कहाँ बोया था यह बीज ? यह बीज बोया था अमेरिका-रूस सहित विश्व के 60 देशों में और जब भारत आज कोरोना व चीन के साथ विवाद के संकट से जूझ रहा है, तब मोदी द्वारा बोए गए ये बीज ही वटवृक्ष बन कर भारत पर सुरक्षा कवच बन कर छा गए हैं।
अमेरिका व रूस सहित पूरा विश्व भारत के साथ

नरेन्द्र मोदी ने 26 मई, 2014 को देश के प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद 20वें ही दिन पहली विदेश यात्रा की। जी हाँ ! मोदी ने 15 जून को नई दिल्ली से विमान पकड़ा और भूटान यात्रा के लिए रवाना हो गए। 15 जून, 2014 को भूटान से प्रारंभ हुआ मोदी की विदेश यात्राओं का सिलसिला ऐसा चला कि जिसने थमने का नाम नहीं लिया। 26 मई, 2014 से 29 जून, 2020 तक के अपने 2,226 दिनों के कार्यकाल में मोदी ने 50 देशों की यात्राएँ कीं।
एक प्रकार से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विदेश यात्राओं का रिकॉर्ड ही बना डाला। भारत के किसी प्रधानमंत्री ने इतनी विदेश यात्राएँ नहीं कीं, जितनी नरेन्द्र मोदी ने की और इसके लिए विपक्ष उन पर निशाना भी साधता रहा, परंतु आलोचना करने वालों को कहाँ पता था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ये विदेश यात्राएँ विश्व में ‘घूमने’ के लिए नहीं, बल्कि विश्व को ‘घुमाने’ के लिए कर रहे थे। यह बात इसलिए दावे के साथ कही जा सकती है कि जो अमेरिका भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 तक पाकिस्तान के साथ खड़ा था, आज भारत के साथ खड़ा है। जिन पश्चिमी देशों ने पोखरण परमाणु परीक्षण के समय भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे, वे आज मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय (वैश्विक) आतंकवादी घोषित कराने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (UNSC) में भारत के साथ खड़े रहे।

मोदी ने अपनी विदेश यात्राओं से न केवल पश्चिमी देशों, वरन् इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान के साथ खड़े रहने वाले कई खाड़ी व अरब देशों को भी भारत के पक्ष में ला खड़ा किया, तो चीन का सबसे क़रीबी दोस्त रूस आज भारत-चीन के बीच गलवान घाटी में अत्यंत तनावपूर्ण स्थिति में भी भारत का साथ छोड़ने का साहस नहीं जुटा पा रहा। चीन के साथ दोस्ती के बावज़ूद भारत का सदाबहार मित्र रूस भारत के साथ है। रूस की अमेरिका से दुश्मनी और चीन से दोस्ती है, जिनमें से अमेरिका भारत का दोस्त तथा चीन का दुश्मन है। इस प्रकार के बहुकोणीय संबंधों के बीच भी रूस हर हाल में भारत के साथ सदियों पुरानी मैत्री निभा रहा है, तो इसका एकमात्र कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कूटनीति, विदेश नीति एवं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ पर्सनल केमिस्ट्री है।
मोदी ने अनायास ही बना दिया भारत में ‘रहने’ का रिकॉर्ड

वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोई विदेश यात्रा नहीं की है। पिछले छह महीनों में शुरुआती 3 महीने जहाँ कोरोना संकट विकराल था और अब भी बना हुआ है, वहीं बाद के 3 महीनों से चीन के साथ तनातनी चल रही है। भारत संकटों से घिरा हुआ है, परंतु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा संकट के समय भी लगातार बढ़ी है। कोरोना से निपटने में भारत ने कई देशों की सहायता की, तो चीन के साथ विवाद में भारत को अमेरिका-रूस सहित 100 से अधिक देशों का समर्थन है। इस संकटकालीन स्थिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले 228 दिनों से देश में हैं। यह अपने आपमें एक रिकॉर्ड है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 6 वर्ष 1 महीने और 3 दिन के अपने कार्यकाल में 15 जून, 2014 को पहली भूटान यात्रा की थी और अंतिम बार उन्होंने 13 नवंबर, 2019 को ब्राज़ील यात्रा के लिए विमान पकड़ा था। दो दिवसीय ब्राज़ील यात्रा से 14 नवंबर, 2019 को लौटे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले 228 दिनों में कोई विदेश यात्रा नहीं की है और यह अपने आपमें इसलिए एक रिकॉर्ड है, क्योंकि मोदी की 50 विदेश यात्राओं का औसत गिनें, तो वे हर 25-26वें दिन विदेश यात्रा के लिए विमान पकड़ते हैं।
नरेन्द्र मोदी ने इससे पहले सर्वाधिक 179 दिनों तक विदेश यात्रा नहीं करने का रिकॉर्ड 2016-17 में बनाया था। मोदी ने 11 नवंबर, 2016 को जापान की दो दिवसीय यात्रा की थी। इसके बाद वे 11 मई, 2017 को श्रीलंका यात्रा पर गए थे। इस प्रकार मोदी 12 नवंबर, 2016 से 10 मई, 2017 यानी पूरे 179 दिन देश में रहे थे। यह सबसे लंबे समय तक विदेश यात्रा नहीं करने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का रिकॉर्ड था, जो 2019-20 में कोरोना संकट के चलते टूट गया, क्योंकि मोदी ने 14 नवंबर,2019 को ब्राज़ील यात्रा से लौटने के बाद आज तक कोई विदेश यात्रा नहीं की है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मोदी का दो विदेश यात्राओं के बीच अंतर का आज तक का 228 दिनों का यह रिकॉर्ड 352 दिनों तक बढ़ सकता है, क्योंकि प्रधानमंत्री के 2020 के प्रस्तावित विदेश दौरे नवंबर में होने वाले हैं। इनमें मोदी वियतनाम तथा साउदी अरब जाने वाले हैं। यद्यपि कोरोना संकट और भारत-चीन विवाद के चलते अभी यह कह पाना कठिन है कि मोदी नवंबर में भी विदेश जाएँगे या नहीं ?
मोदी की अब तक की विदेश यात्राओं का विवरण :
6 बार – अमेरिका/संयुक्त राष्ट्र संघ
5 बार – चीन,फ्रांस, रूस
4 बार – जर्मनी, जापान, नेपाल, सिंगापुर
3 बार – श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात
2 बार – अफग़ानिस्तान, भूटान, ब्राज़ील, कज़ाक़स्तान, किर्गीज़स्तान, मलेशिया, मालदीव, म्यानमार, सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, स्विट्ज़रलैण्ड, थाईलैण्ड, ब्रिटेन, उज़्बेकिस्तान
1 बार – अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, बांग्लादेश, बेल्जियम, कनाडा, फीजी, इंडोनेशिया, ईरान, आयर्लैण्ड, इज़राइल, जॉर्डन, केन्या, लाओस, मॉरिशस, मेक्सिको, मंगोलिया, मोज़ैम्बिक़, नीदरलैण्ड, ओमान, पाकिस्तान, फ़लीस्तीन, फीलीपीन्स, पुर्तगाल, क़तर, रवांडा, सेशाइल्स (सेशेल्स), स्पेन, स्वीडन, ताजिकिस्तान, तंज़ानिया, तुर्की, तुर्केमेनिस्तान, उगांडा (युगांडा), वियतनाम