‘STEEL FRAME OF INDIA’ : सरदार के कथन को सत्य सिद्ध कर रहे 3 करोड़ ‘कोरोना रोधी योद्धा’

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अहमदाबाद। देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने आज से ठीक 73 वर्ष पहले अखिल भारतीय नागरिक सेवाओं (ALL INDIA CIVIL SERVICES) का उद्घाटन करते हुए इन सेवाओं से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मचारियों को ‘STEEL FRAME OF INDIA’ (भारत का स्टील फ्रेम) कह कर संबोधित किया था। अभी भारत स्वतंत्र नहीं हुआ था, परंतु अंग्रेज़ी साम्राज्य के विरुद्ध चल रही लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुकी थी। भारतीय स्वतंत्रता की उल्टी गिनती आरंभ हो चुकी थी और स्वतंत्र भारत में प्रशासनिक ढाँचा स्थापित करने का बड़ा उत्तरदायित्व सरदार पटेल पर था। इसी उत्तरदायित्व को निभाते हुए सरदार पटेल ने 6 अप्रैल, 1947 को अखिल भारतीय नागरिक सेवाओं का उद्घाटन किया और अपने उत्साहपूर्ण भाषण में सिविल सर्विस से जुड़े लोगों को स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया की संज्ञा दी, जिसका व्यापक दृष्टिकोण में यही अर्थ होता था कि आने वाले समय में प्रशासनिक सेवा से जुड़े लोग स्वतंत्र भारत की स्थापना में स्टील फ्रेम के रूप में कार्य करेंगे।

वर्ष 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह सरकार ने सरदार पटेल द्वारा अखिल भारतीय नागरिक सेवाओं के उद्घाटन की स्मृति में प्रति वर्ष 21 अप्रैल को नागरिक सेवा दिवस (CIVIL SERVICES DAY) मनाने का निर्णय किया। आज पूरा देश 15वाँ नागरिक सेवा दिवस (CSD) है और कदाचित समूचे भारत को यह पहली बार अनुभूति हो रही होगी कि वास्तव में सरकारी अधिकारी व कर्मचारी के रूप में कनिष्ठ से लेकर वरिष्ठ पदों पर कार्यरत् लोग भले ही श्रेष्ठ वेतन, भत्ते व अनेक सरकारी लाभ उठाते हैं, परंतु राष्ट्र पर जब संकट आता है, तब यही नागरिक सेवक एक योद्धा के रूप में मैदान में उतर जाते हैं। देश में केन्द्र व राज्य सरकारों के लगभग 3 करोड़ सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी हैं, जो इस समय वैश्विक महामारी कोरोना (CORONA) विरोध युद्ध में योद्धा के रूप में लड़ाई लड़ रहे हैं और सही अर्थ में लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के कथन ‘स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया’ की कसौटी पर ख़रे उतर रहे हैं।

PM मोदी ने किया नमन, ‘मिल कर हराएँगे कोरोना को’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फाइल चित्र

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र, राज्य, जिला, महानगर, नगर तथा ग्रामीण स्तर पर कार्यरत् सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को लोकसेवा दिवस की शुभकामनाएँ दी हैं। पीएम मोदी ने TWEET कर कहा, ‘नागरिक सेवा दिवस के अवसर पर मैं देश के सभी सरकारी सेवकों और उनके परिवारों को बधाई देता दूँ। कोरोना महामारी को हराने की दिशा में मैं उनके प्रयासों की सराहना करता हूँ। संक्रमितों के उपचार में वे निरंतर काम कर रहे हैं। हम सब मिल कर कोरोना को हराएँगे।’’

वॉरेन हैस्टिंग्स ने रखी नींव, चार्ल्स कॉर्नवॉलिस बने ‘फादर’

वॉरेन हैस्टिंग्स तथा चार्ल्स कॉर्नवॉलिस

भारत में सिविल सर्विस शब्द की उत्पत्ति ब्रिटिश शासन काल में हुई और इसकी नींव रखी ब्रिटिश भारत में कार्यरत् वॉरेन हैस्टिंग्स (Warren Hastings) ने। 1772 में फोर्ट विलियम प्रेसिडेंसी (बंगाल) के गवर्नर बने हैस्टिंग्स ने बंगाल की सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख तथा भारत के प्रथम डी फैक्टो गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया के रूप में सेवाएँ दीं। इसी दौरान 1774 में हैस्टिंग्स के मन में भारतीय प्रशासन में शामिल भारतीय नागरिकों की धार्मिक-सामाजिक-जातिगत स्थिति को देखते हुए सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए एक ढाँचे की कल्पना की, जिसे सिविल सर्विस नाम दिया गया। इस सिविल सर्विस में अधिकारियों-कर्मचारियों के हित में क्रांतिकारी सुधार किए चार्ल्स कॉर्नवॉलिस (Charles Cornwallis) ने। 1805 में फोर्ट विलियम प्रेसिडेंसी (बंगाल) के गवर्नर बने चार्ल्स कॉर्नविल्स को इसी कारण स्वतंत्रता से पूर्व ‘भारत में नागरिक सेवाओं के पिता’ (Father of Civil Services in India) कहा जाता था।